डबवाली में शुरु हुई पार्क लाइब्रेरी, सैर करते पढ़ सकेंगे किताबें
स्वतंत्रता सेनानी पार्क में हिमायत फ़ाउंडेशन ने शुरू की है पार्क लाईब्रेरीडबवाली।
डबवाली में हिमायत फ़ाउंडेशन ने बड़ी पहल की है। इस पहल को नाम दिया है पार्क लाइब्रेरी यानी चलते फिरते जहां वक्त मिले वहां किताब पढ़िए और ज्ञान बढ़ाइए। ये पार्क लाइब्रेरी वाकई मील का पत्थर साबित होगी क्योंकि कांसेप्ट नया है और कोशिश पुराने दौर में ले जाने की है। डबवाली में पहली पार्क लाइब्रेरी स्वतंत्रता सेनानी पार्क में खुल गई है।
पार्क लाइब्रेरी डबवाली में रीडिंग कल्चर को देगी बढ़ावा
हिमायत फ़ाउंडेशन के संस्थापक एडवोकेट पुनीत सिंह मसीतां व एडवोकेट अंकित कामरा का कहना है कि पार्क लाइब्रेरी डबवाली में रीडिंग कल्चर को बढ़ाने की एक छोटी सी कोशिश है। बुक रीडिंग का कल्चर सबसे शानदार कल्चर है। हमें उम्मीद है कि मोबाइल के इस युग में लोग पार्क लाइब्रेरी के कांसेप्ट को पसंद करेंगे और ज्ञान भी बढ़ाएंगे और ज्ञान भी बाटेंगे। एक वो दौर था जब कामिक्स, मैगजीन, इतिहास की किताबें हमारी दोस्त हुआ करती थी। दौर बदला तो मोबाइल से दोस्ती हो गई और किताब मानो छूट सी गई। लेकिन पार्क लाइब्रेरी उसी दौर को याद करने और कराने का भी काम करेगी। डबवाली में खुली पहली पार्क लाइब्रेरी नई उम्मीदों का नया रास्ता बनाएगी। हमें उम्मीद है कि डबवाली के लोग इसमें हमारा साथ देंगे और आगामी दिनों में सभी मिलकर डबवाली के सभी पार्कों में पार्क लाईब्रेरी खोलेंगे।
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पार्क में टहलते-टहलते किताब से जुड़ेंगे
हिमायत फ़ाउंडेशन ने लोगों से अपील की कि वो उन किताबों को डोनेट करें जो एक तरफ रख दी गई हैं और उनमें ज्ञान का सागर छिपा है। कई लोग पुरानी और कीमती किताबों को बेकार समझते हैं लेकिन यदि ये किताबें पार्क लाइब्रेरी में पहुंच जाएंगी तो उसका ज्ञान नई रोशनी का सूरज उगाएगा। इस पार्क लाईब्रेरी में अंग्रेज़ी, पंजाबी व हिन्दी भाषा की मोटीवेशनल, आत्मकथाएं, काल्पनिक एवं गैर-काल्पनिक किताबें पढ़ने के लिए रखी गई है। कोई भी निशुल्लक किताब पढ़ सकता है व पढ़ने के लिए घर ले जा सकता है। इस मुहिम का मकसद है कि कोई भी व्यक्ति पार्क में टहलते समय किताबों के ज़रिए लिट्रेचर के साथ जुड़ सके व सामान्य घरों के बच्चों को अच्छे व महंगे लिट्रेचर निशुल्लक में पढ़ने का मौक़ा मिल सके। पार्क लाईब्रेरी के ज़रिए पढने वाला किताब उठा कर पढ़ सकता है व दानी सज्जन किताब दान कर सकता है।
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करियर विकल्प तलाशने का प्रयास
हिमायत फ़ाउंडेशन का उद्देश्य डबवाली में छात्रों को भविष्य के करियर विकल्पों के बारे में जागरूक करना व बच्चों को बेहतर दिशा देने के लिए शिक्षा को लेकर काम करना है। जिससे क्षेत्र में युवाओं में बढ़ रहे नशे को भी कम किया जा सके। ग़ौरतलब है कि पिछले साल भी हिमायत फाउंडेशन ने पंजाब यूनिवर्सिटी के सहयोग से डबवाली क्षेत्र के 16 गांवों के सरकारी स्कूल में छात्रों की करियर काउंसलिंग की थी व छात्रों को करियर के साथ मासिक धर्म, स्वास्थ्य और किशोरावस्था में आने वाले बदलावों को लेकर भी जानकारी प्रदान की थी जिससे हजारों छात्रों को लाभ पहुंचा था। इस मौक़े गुरतेशवर मसीतां व हरनूर बराड़ भी मौजूद थे।
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लाइब्रेरी में रखी 30 किताबें
एडवोकेट पुनीत मसीतां ने बताया कि पार्क की दीवार पर ढाई फीट लंबा तथा चौड़ा एक बाक्स लगाया गया है। जिसमें तीन स्लेब लगाकर प्लेटफार्म बनाए गए हैं। दो प्लेटफार्म में 30 किताबें रखी गई हैं। तीसरा प्लेटफार्म खाली है। ताकि लोग डोनेट कर सकें। इससे लोग लाइब्रेरी से जुड़ेंगे। साथ ही लाइब्रेरी की संभाल करेंगे। खास तरीके की यह अलमारी या बाक्स कामरा फर्नीचर डबवाली ने डोनेट किया है।
डबवाली में हिमायत फ़ाउंडेशन ने बड़ी पहल की है। इस पहल को नाम दिया है पार्क लाइब्रेरी यानी चलते फिरते जहां वक्त मिले वहां किताब पढ़िए और ज्ञान बढ़ाइए। ये पार्क लाइब्रेरी वाकई मील का पत्थर साबित होगी क्योंकि कांसेप्ट नया है और कोशिश पुराने दौर में ले जाने की है। डबवाली में पहली पार्क लाइब्रेरी स्वतंत्रता सेनानी पार्क में खुल गई है।
पार्क लाइब्रेरी डबवाली में रीडिंग कल्चर को देगी बढ़ावा
हिमायत फ़ाउंडेशन के संस्थापक एडवोकेट पुनीत सिंह मसीतां व एडवोकेट अंकित कामरा का कहना है कि पार्क लाइब्रेरी डबवाली में रीडिंग कल्चर को बढ़ाने की एक छोटी सी कोशिश है। बुक रीडिंग का कल्चर सबसे शानदार कल्चर है। हमें उम्मीद है कि मोबाइल के इस युग में लोग पार्क लाइब्रेरी के कांसेप्ट को पसंद करेंगे और ज्ञान भी बढ़ाएंगे और ज्ञान भी बाटेंगे। एक वो दौर था जब कामिक्स, मैगजीन, इतिहास की किताबें हमारी दोस्त हुआ करती थी। दौर बदला तो मोबाइल से दोस्ती हो गई और किताब मानो छूट सी गई। लेकिन पार्क लाइब्रेरी उसी दौर को याद करने और कराने का भी काम करेगी। डबवाली में खुली पहली पार्क लाइब्रेरी नई उम्मीदों का नया रास्ता बनाएगी। हमें उम्मीद है कि डबवाली के लोग इसमें हमारा साथ देंगे और आगामी दिनों में सभी मिलकर डबवाली के सभी पार्कों में पार्क लाईब्रेरी खोलेंगे।
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पार्क में टहलते-टहलते किताब से जुड़ेंगे
हिमायत फ़ाउंडेशन ने लोगों से अपील की कि वो उन किताबों को डोनेट करें जो एक तरफ रख दी गई हैं और उनमें ज्ञान का सागर छिपा है। कई लोग पुरानी और कीमती किताबों को बेकार समझते हैं लेकिन यदि ये किताबें पार्क लाइब्रेरी में पहुंच जाएंगी तो उसका ज्ञान नई रोशनी का सूरज उगाएगा। इस पार्क लाईब्रेरी में अंग्रेज़ी, पंजाबी व हिन्दी भाषा की मोटीवेशनल, आत्मकथाएं, काल्पनिक एवं गैर-काल्पनिक किताबें पढ़ने के लिए रखी गई है। कोई भी निशुल्लक किताब पढ़ सकता है व पढ़ने के लिए घर ले जा सकता है। इस मुहिम का मकसद है कि कोई भी व्यक्ति पार्क में टहलते समय किताबों के ज़रिए लिट्रेचर के साथ जुड़ सके व सामान्य घरों के बच्चों को अच्छे व महंगे लिट्रेचर निशुल्लक में पढ़ने का मौक़ा मिल सके। पार्क लाईब्रेरी के ज़रिए पढने वाला किताब उठा कर पढ़ सकता है व दानी सज्जन किताब दान कर सकता है।
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करियर विकल्प तलाशने का प्रयास
हिमायत फ़ाउंडेशन का उद्देश्य डबवाली में छात्रों को भविष्य के करियर विकल्पों के बारे में जागरूक करना व बच्चों को बेहतर दिशा देने के लिए शिक्षा को लेकर काम करना है। जिससे क्षेत्र में युवाओं में बढ़ रहे नशे को भी कम किया जा सके। ग़ौरतलब है कि पिछले साल भी हिमायत फाउंडेशन ने पंजाब यूनिवर्सिटी के सहयोग से डबवाली क्षेत्र के 16 गांवों के सरकारी स्कूल में छात्रों की करियर काउंसलिंग की थी व छात्रों को करियर के साथ मासिक धर्म, स्वास्थ्य और किशोरावस्था में आने वाले बदलावों को लेकर भी जानकारी प्रदान की थी जिससे हजारों छात्रों को लाभ पहुंचा था। इस मौक़े गुरतेशवर मसीतां व हरनूर बराड़ भी मौजूद थे।
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लाइब्रेरी में रखी 30 किताबें
एडवोकेट पुनीत मसीतां ने बताया कि पार्क की दीवार पर ढाई फीट लंबा तथा चौड़ा एक बाक्स लगाया गया है। जिसमें तीन स्लेब लगाकर प्लेटफार्म बनाए गए हैं। दो प्लेटफार्म में 30 किताबें रखी गई हैं। तीसरा प्लेटफार्म खाली है। ताकि लोग डोनेट कर सकें। इससे लोग लाइब्रेरी से जुड़ेंगे। साथ ही लाइब्रेरी की संभाल करेंगे। खास तरीके की यह अलमारी या बाक्स कामरा फर्नीचर डबवाली ने डोनेट किया है।
Very Nice 👌👌👏
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