Sunday, 12 January 2025

बाऊ जी

लोहड़ी खास खबर:

दो दोस्तों की दोस्ती और मेहनत की कहानी है......बाऊ जी

करीब 31 साल पहले दो दोस्तों ने मजदूरी करके खड़ी की है फैक्टरी, आज मजदूरों को साथी मानते हैं दोनों




डबवाली।

बाऊ जी...31 साल से चला आ रहा ब्रांड है। करीब 100 से ज्यादा परिवार आश्रित हैं। शुरुआत हुई थी वर्ष 1994 में। जब दो दोस्त काम की तलाश में निकले थे। अंकल चिप्स फेमस थी, समझा महंगी है, क्यों ना चिप्स हर हाथ में पहुंचाई जाए। फिर आलू चिप्स बनाई। दोस्तों ने रेहड़ी उठाई और चल दिये दुकान-दुकान। उस वक्त मजदूरों की तरह मेहनत की। पसीने की कद्र पता चली थी।

आज दोनों दोस्त 100 से ज्यादा परिवारों के लिए बाऊ जी बनें हैं। हम बात कर रहे हैं डबवाली निवासी अजय कुमार और राकेश कुमार की। जो लघु उद्योग चलाते हैं। जिसमें 60 से ज्यादा प्रवासी मजदूर काम करते हैं। उनका बनाया हुआ प्रोडक्ट हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में करीब 200 किलोमीटर के दायरे में बिकता है। बेचने वाले करीब 50 से ज्यादा परिवार हैं। उनको भी एक तरीके से रोजगार मिला हुआ है। बता दें, बाजार में बाऊ जी के नाम से चिप्स, हर प्रकार की गज्जक, रेवड़ी, तिल के लड्डू बिकते हैं।

मजदूर नहीं परिवार है

देश में बेरोजगारी बड़ा मामला है। रोजगार देने वाला हर इंसान गरीबी उन्मूलन में योगदान दे रहा है। कुछ ऐसा ही ये दोनों दोस्त कर रहे हैं। फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों को मजदूर नहीं समझते, बल्कि अपना परिवार मानते हैं। तभी तो जो प्रोडक्ट बिकता है उसका एक हिस्सा मजदूरों में बांट दिया जाता है। ताकि वे भी सम्मान पूर्वक जीवन व्यतीत कर सकें। बता दें, फैक्टरी में कुछ परिवार ऐसे हैं जिन्हें काम करते हुए 12 वर्षों से अधिक समय हो गया है। सभी परिवार प्रवासी हैं।

हमनें खुद लेबर का काम किया है। इसलिए जो फैक्ट्री में काम करता है वो हमें मजदूर नहीं साथी लगता है। बुजुर्गों को सम्मान के साथ बाऊ जी कहते हैं, इसलिए प्रोडक्ट का नाम बाऊ जी रखा था।

-अजय कुमार, संचालक


रिपोर्ट :

डीडी गोयल

आवाज़ न्यूज नेटवर्क

मो. 8059733000

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