Thursday, 30 January 2025

50 लाख का नशा बरामद

पिता पुत्र से ₹50 लाख रुपये का चिट्टा बरामद



सिरसा।

प्रदेश को नशा मुक्त करने के हरियाणा सरकार की मुहिम को सफल बनाने में हरियाणा राज्य नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो लगातार नशा तस्करों पर कार्रवाई कर रही है। इसी क्रम में हरियाणा राज्य नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की सिरसा यूनिट ने मोटरसाईकिल सवार पिता पुत्र 2 नशा तस्करो को थाना डींग एरिया से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। आरोपयो के पास से 412 ग्राम चिट्टा/हरोइन बरामद किया गया है। विदित है कि हरियाणा राज्य नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो प्रमुख महानिदेशक ओ.पी. सिंह के दिशा निर्देशों पर पुरे प्रदेश में नशा तस्करों के नेक्सस को तोड़ने के लिए एचएसएनसीबी हरियाणा द्वारा विशेष अभियान चलाए जा रहे है। संयुक्त रूप से जानकारी देते हुए हरियाणा एनसीबी यूनिट सिरसा के नोडल अधिकारी उपपुलिस अधीक्षक श्री जोगिंदर सिंह, HPS और इंचार्ज तरसेम सिंह ने बताया कि पुलिस अधीक्षक मोहित हांडा व सुश्री पंखुड़ी कुमार के दिशा निर्देशानुसार एएसआई सुखदेव सिंह अपनी पुलिस टीम के साथ सिरसा से हिसार रोड पर गाँव बगुवाली पतली डाबर चौक पर मौजूद थे। इसी दौरान डींग मोड़ की तरफ से सर्विस रोड पर एक बाइक आता हुआ दिखाई दिया जिस पर 2 लोग सवार थे। पेट्रोलिंग टीम ने शक के आधार पर संदिग्ध मोटरसाईकिल चालक को रूकने का इशारा किया। मोटरसाईकिल चालक पुलिस की गाडी को देखकर वापिस मुड़कर भागने लगा। संदिग्धों को तुरंत पुलिस टीम द्वारा काबु कर पूछताछ की गई। संदिग्धों द्वारा संतोषजनक जबाब नही दे पाने पर पुलिस टीम द्वारा मौके पर राजपत्रित अधिकारी को बुलाकर युवकों की तलाशी ली गयी तो उनकी जेब से चिट्टा बरामद हुआ। जिसका कुल वजन 412 ग्राम प्राप्त हुआ और जिसकी कीमत बाजार मे लगभग 50 लाख रुपए बताई जा रही है। आरोपयो की पहचान पिता पुत्र प्रेम सागर पुत्र दर्शन लाल और विलास उर्फ विकास पुत्र प्रेम सागर निवासी रानियाँ गेट, सिरसा के रूप मे हुई है। इस मामले मे थाना डींग जिला सिरसा मे अभियोग दर्ज कर जांच शुरू कर दी गयी है।


आरोपी पुत्र पहले भी नशा तस्करी के मामलों मे जा चुके है जेल

सिरसा यूनिट इंचार्ज तरसेम सिंह ने आगे बताया कि आरोपी विलास उर्फ विकास पुत्र प्रेम सागर से गहानता से पूछताछ की जा रही है। आरोपी विलास पर पर नशा तस्करी के मामले मे एक मामला पहले भी है जिस पर ये आरोपी ज़मानत पर बाहर है।

आरोपी चिट्टा कहाँ से लेकर आया था और कहाँ सप्लाई करना था इसपर आगामी तफ्तीश जारी है ताकि नशे के नेक्सस को तोड़ा जा सके। नशे के व्यापार मे शामिल किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा । 


90508-91508 पर दें आमजन नशे की जानकारी, पुलिस लेगी तुरंत एक्शन

पुलिस प्रवक्ता ने आमजन से अपील करते हुए कहा की अगर आपको कहीं पर भी नशा बिकता हुआ दिखाई दे रहा है या आपको नशे से संबंधित किसी भी प्रकार की सुचना है तो भारत सरकार के द्वारा चलाई जा रही नशें संबंधित टोल फ्री नंबर 1933, ऑनलाइन शिकायत पोर्टल MANAS (WWW.NCBMANAS.GOV.IN) और हरियाणा एनसीबी के टॉल फ्री न. 90508-91508 पर बेफिक्र होकर सूचना दें, ताकि नशा तस्करों को सलाखों के पीछे भेजा जा सके। आमजन के सहयोग और उनकी सूचना पर तुरंत प्रभाव से कार्रवाई की जाएगी। पुलिस प्रशासन आपको विश्वास दिलाता है कि सूचना देने वाले का नाम व पता गुप्त रखा जाएगा।

वाहन हिरासत में ले लेगी डबवाली पुलिस

चालान नहीं भरा तो आपका वाहन हिरासत में ले लेगी डबवाली पुलिस

डबवाली पुलिस हुई सख्त, एसपी सिद्धांत जैन बोले-कई सालों तक चालान जमा नहीं करवाते लोग



डबवाली (एएनएन)।

डबवाली पुलिस ने वाहन चालकों को सावधान करते हुए कहा है कि अगर कोई वाहन चालक चालान भरने की समय अवधि के अंदर चालान जमा नहीं करवाता तो उस वाहन को नियंत्रण या हिरासत में लिया जाएगा। यह सख्त कदम उन लोगों के लिए है, जो चालान कटने के बाद उसे लंबे समय तक नजरअंदाज करते है।

एसपी सिद्धांज जैन ने बताया कि चालान कटने के बाद भी लोग इसे कई सालों तक नहीं भरते। चालान भरने में देरी करने वाले चालकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अब नियमों को और सख्त कर दिया गया है। चालान कटने के 60 दिन के बाद वो चालान वर्चुअल कोर्ट में चला जाता है। इस हिसाब से अगर आप आनलाइन चालान भरना चाहते हैं तो आपके पास 60 दिन का टाइम होता है। उन्होंने कहा कि ट्रैफिक नियमों का पालन करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। यह न केवल सड़क पर अनुशासन बनाए रखता है, बल्कि सभी यात्रियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है। नियमों का पालन करने से न केवल चालान से बचा जा सकता है, बल्कि सड़क पर सुरक्षित यात्रा का अनुभव भी होता है।

चालान प्रक्रिया को आसान बनाने के प्रयास में एक और कदम

पुलिस अधीक्षक सिद्धान्त जैन ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस अब चालान प्रक्रिया को डिजिटल बना रही है। ई-चालान प्रणाली के जरिए वाहन मालिक अपने चालान को आनलाइन देख सकते हैं और तुरंत भुगतान कर सकते हैं। इससे चालान प्रक्रिया पारदर्शी और आसान हो गई है। उन्होंने बताया कि चालान भरने में देरी करने वाले चालकों को अब 60 दिनों में चालान भरना अनिवार्य है। अगर इस समय सीमा का पालन नहीं किया गया, तो वाहन जब्त किया जाएगा और अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया जा सकता है । सड़क पर सुरक्षित यात्रा के लिए जरूरी कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि वाहन चालक अपनी गाड़ी की गति सीमा का ध्यान रखें। दुपहिया वाहन पर हेलमेट और कार में सीट बेल्ट का उपयोग करना आपकी सुरक्षा के लिए आवश्यक है। वाहन चालक अपने वाहन के दस्तावेज ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन पंजीकरण, बीमा, पाल्यूशन आदि पूर्ण रखें। यातायात पुलिस द्वारा नो पार्किंग और ओवर स्पीड से संबंधित पोस्टल चालान किया जाता है। अगर किसी वाहन का नो पार्किंग या ओवर स्पीड का पोस्टल चालान होता है और उसका पाल्यूशन, रजिस्ट्रेशन या फिर बीमा समाप्त हो चुका है तो नो पार्किंग या ओवर स्पीड के साथ इस सब का भी जुर्माना लगाया जाता है।

Tuesday, 28 January 2025

नशा मुक्त गांव

पुलिस का दावा-गोरीवाला, मोडी व रिसालियाखेड़ा नशा मुक्त

एसपी सिद्धांत जैन ने गोरीवाला में आयोजित समारोह में ड्रग मुक्त गावों के सरपंचों को किया सम्मानित

- एसपी बोले-80 प्रतिशत गांव नशा मुक्त होने पर पूरा गांव है नशामुक्त



डबवाली:

मंगलवार को डबवाली जिला पुलिस ने गांव गोरीवाला, मोडी व रिसालियाखेड़ा को नशा मुक्त गांव घोषित कर दिया। यहां के युवाओं ने नशे को पूरी तरह से अलविदा कह कर गांव में किसी भी तरह का नशा न करने और न ही बेचने की शपथ ली। गांव गोरीवाला स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में डबवाली की नशा मुक्ति टीम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक डबवाली सिद्धांत जैन ने इन तीनों गांवों के सरपंचों को नशा मुक्त गांव होने पर सम्मानित किया।

इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक सिद्धांत जैन ने अपने संबोधन में कहा कि हमारी संस्कृति रही है कि हम अपने माता-पिता की आंखो में आंसू नहीं देख सकते। अतः हमें उनकी भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए व जीवन में कोई ऐसा कार्य न करें जिससे माता-पिता के दिल को ठेस पहुंचे। उन्होंने कहा कि भगवान ने मां-बाप को बच्चों का सबसे बड़ा शुभचिंतक बनाया है। जो व्यक्ति अपने माता-पिता की भावनाओं का ख्याल रखते है उनकी इज्जत करते हैं, नशे से दूर है, अपनी मेहनत के बल पर अपना लक्ष्य हासिल करते है सही मायने में वही सराहना के लायक हैं।

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रेड जोन एरिया में डबवाली

उन्होंने कहा कि सीमावर्ती जिला होने के कारण डबवाली जिला नशे के मानचित्र पर रेड जोन एरिया में हैं। पुलिस द्वारा नशे के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में पुलिस नशा तस्करों को जेल की सलाखों के पीछे भेजने के लिए उनकी धर-पकड़ कर रही है। नशे के कारोबार में संलिप्त अपराधी की संपत्ति को जब्त करने का भी प्रावधान है। इसके साथ-साथ पुलिस आदतन नशा तस्करों के अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर भी चला रही है।

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नशा तस्करों के सामाजिक बहिष्कार की चेतावनी

उन्होंने कहा कि सामाजिक बुराई के खिलाफ कोई भी अभियान तब तक सफल नहीं होगा जब तक समाज का हर वर्ग एकजुट होकर इस बुराई के खिलाफ ना खडा हो। उन्होंने ग्रामीण व्यक्तियों से आह्वान किया कि नशा तस्करों का सामाजिक बहिष्कार किया जाए। यदि कहीं कोई व्यक्ति नशा बेचता हुआ पाया जाता है तो इसकी सूचना तुरंत गांव के सरपंच, नंबरदार, चौकीदार, ग्राम प्रहरी को दी जाए। इसके साथ-साथ पुलिस के टोल फ्री नं पर भी सूचना दी जा सकती है।

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पुलिस नशा छोड़ने वाले युवाओं की मदद कर रही

उन्होंने कहा कि पुलिस नशा तस्करों को पकड़ने के साथ-साथ नशा करने वाले लोगों को चिन्हित करके उनका नशा छुड़ाने का कार्य भी कर रही है। उन्होंने समारोह में उपस्थित सभी गांवो के सरपंचों व ग्रामीणों से आह्वान किया कि एकजुट होकर डबवाली के माथे से नशे का कलंक मिटाने में लग जाए और युवाओं को अपने कारोबार व खेती बाड़ी में आने के लिए सहयोग करें। इस अवसर पर नशा छोड़ने वाले युवा ने मंच से अपने नशा छोड़ने के अनुभवों को साझा किया और लोगों को नशा न करने के लिए प्रेरित किया।

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ये रहे मौजूद

इस अवसर पर एएसपी मयंक मुदगिल, उप पुलिस अधीक्षक मुख्यालय कपिल अहलावत, सहायक उप निरीक्षक जयवीर सिंह प्रभारी चौकी गोरीवाला, प्रभारी थाना सदर निरिक्षक ब्रह्म प्रकाश, नशा मुक्ति टीम प्रभारी उप निरीक्षक सुग्रीव सिंह, गांव गोरीवाला की सरपंच सोनिया, मोडी के सरपंच सुखदेव सिंह, रिसालियाखेड़ा के सरपंच पालाराम, कालुआना गांव के सरपंच दौलत राम, चकजालू की सरपंच सरोज, बिज्जूवाली की सरपंच सुरेंद्र सुथार, सरपंच राजपुरा चंद सिंह. सरपंच रत्ताखेड़ा लीलाधर, वाइस चेयरमैन दीपा सिंह, संजीव शाद मौजूद थे।

Tuesday, 21 January 2025

मटदादू गांव सुर्खियों में

235 साल पुराना मटदादू गांव सुर्खियों में आया, महिला सरपंच ने नशा रोकने के लिए आइपी कैमरे लगाए

महानगरों की सुरक्षा के लिए लगने वाले सीसीटीवी कैमरे पहली बार हरियाणा के किसी गांव में लगे


डबवाली:
करीब 235 साल पुराना गांव मटदादू सुर्खियों मंे आ गया है। वजह है गांव की महिला सरपंच गगनदीप कौर। उन्होंने गांव में महानगरों की सुरक्षा में प्रयोग होने वाले आइपी, हयूमन डिटेक्शन तथा हाइ डेफिकेशन कैमरे लगाए हैं। ऐसा इसलिए कि गांव में नशे तथा अपराध पर नियंत्रण रहे। बताया जाता है कि गांव मटदादू नशे की दृष्टि से संवेदनशील गांव है। यहां करीब 80 से ज्यादा नशा करने वाले लोग हैं। युवाओं की मौत हो रही है। ऐसे में नशा तस्करों पर निगरानी रखने के लिए पंचायत ने बड़ा कदम उठाया है। गांव मटदादू अब पूरी तरह से तीसरी आंख के पहरे में महफूल रहेगा।
पहली बार गांव में महानगरों (मेट्रो) की तर्ज पर आईपी, हाई डेफिनेशन, ह्यूमन डिटेक्शन नेटवर्क कैमरे लगाए गए हैं। सरपंच गगनदीप कौर ने बताया कि गांव के सभी प्रवेश द्वारों पर और डबवाली-ऐलनाबाद स्टेट हाइवे रोड पर भी लगभग 30 सेट अप लगाए गए हैं। गांव के हर मुख्य चौक-चौराहे, फिरनी, गली, लाईब्रेरी, स्कूल, धार्मिक स्थल को कवर किया गया है। उन्होंने बताया कि गांव में सभी कैमरों की डिस्प्ले के लिए एक कंट्रोल रूम भी बनाया जाएगा, हर कैमरे में एक सिम चिप लगी होगी, जिससे वह इंटरनेट के साथ जुड़ा होगा। पूरे गांव को सीसीटीवी कैमरा जोन बनाए जाने से गांव में आपराधिक घटनाओं में कमी होगी और नशा तस्करों पर कड़ी नजर रहेगी। उन्होंने बताया कि तीसरी नजर से कोई भी अपराधी बच नहीं सकेगा। सरपंच ने बताया कि कैमरे की क्वालिटी बहुत बढिय़ा है और कैमरे में ह्यूमन डिटेक्शन व वायस कैप्चर की भी सुविधा है। उन्होंने बताया कि गांव में करीब 100 से ज्यादा कैमरे लगाए गए हैं।
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सात मंजिला मठ होने के कारण नाम पड़ा था मठदादू
डबवाली से करीब 21 किलोमीटर दूरी पर स्थित मटदादू गांव का सही नाम है मठदादू। यह नाम अंग्रेजों ने गांव में बने एतिहासिक मठ के कारण दिया था। ग्रामीण बताते हैं कि गांव की सीमा निर्धारित करने के लिए अंग्रेज अधिकारी शामिल हुए थे। गांव के नाम पर चर्चा हुई तो करीब सात मंजिला मठ दिखाई दिया। अंग्रेजों ने पूछा कि यह क्या है? ग्रामीणों ने बताया कि मठ है। अधिकारी ने अगला सवाल किया कि किसका मठ है, तो पता चला कि संत दादू दयाल का है। अधिकारी ने उसी वक्त गांव को मठदादू कहकर संबोधित किया। गांव की स्थापना 1790 के आस-पास बताई जाती है। करीब 231 साल पूर्व बसे गांव का आंकलन वर्तमान परिस्थितियों से करें तो रकबा 28156 कनाल 15 मरले है। वर्ष 2011 की जनगणना अनुसार गांव की कुल आबादी करीब 3450 है। जिसमें 1787 पुरुष तथा 1663 महिलाएं शामिल है।
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पाकिस्तान के जंबर गांव से जुड़ा है इतिहास
गांव मठदादू का इतिहास पाकिस्तान के जिला कसूर की तहसील पत्तो के गांव जंबर कलां, जंबर खुर्द से जुड़ा हुआ है। ग्रामीण गुरमेल सिंह बताते है कि गांव मठदादू की जमीन बठिंडा जिला के गांव सेखू के ग्रामीणों की थी। उस वक्त अंग्रेजों को लगान देना पड़ता था। अकाल होने के कारण सेखू के ग्रामीण लगान नहीं दे सके अंग्रेजों ने जमीन कुर्क कर ली थी। बुजुर्ग बताया करते थे कि सेखू के ग्रामीणों की रिश्तेदारी उस वक्त के जिला लाहौर की तहसील चुन्नियां के तहत आने वाले गांव जंबर में थी। जंबर समृद्ध इलाका था। रिश्तेदारों ने सूचित किया कि अगर जंबर के लोग चाहे तो लगान अदा करके जमीन पा सकते है। जंबर के लोगों ने ऐसा ही किया, अंग्रेजों को लगान अदा करके जमीन हासिल कर ली। इसलिए मठदादू के लोग नाम के पीछे जंबर शब्द का इस्तेमाल करते है।
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सात मंजिला था मठ, क्रांतिकारी लेते थे पनाह
सरपंच प्रतिनिधि रणदीप सिंह बताते है कि अक्सर बुजुर्ग कहानी सुनाया करते थे कि मठ सात मंजिला था। सबसे ऊपरी मंजिल पर मशाल जलती थी। जो बहुत दूर से भी दिखाई देती थी। बताते है कि ऊंचाई ज्यादा होने के कारण छाया दो किलोमीटर दूर स्थित गांव मलिकपुरा में दिखाई देती थी। बुजुर्गों का यह भी कहना था कि उपरोक्त मठ में क्रांतिकारी पनाह लेते थे। जिसे अंग्रेजो विद्रोही बताते थे। इस वजह से अंग्रेजों ने मठ का बहुत बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त कर दिया था।

Monday, 20 January 2025

बेसहारा गोवंश

बेसहारा गोवंश को पकड़वाएगी डबवाली नगरपरिषद, ठेकेदार को तीन दिन में निपटानी होगी शिकायतें

नगरपरिषद ने टेंडर काल किया, शर्त रखी-ठेकेदार को कंट्रोल रुम बनाना होगा, रजिस्टर में दर्ज करेगा शिकायत

शहर की गलियों तथा मुख्य सड़कों पर घूम रहे हैं 500 से ज्यादा गोवंश

डबवाली।
नगरपरिषद बेसहारा गोवंश को पकड़वाकर संबंधित संस्थाओं में छुड़वाएगी। शहर में बेसहारा गोवंश से हो रहे हादसों के चलते नगरपरिषद ने उक्त फैसला लिया है। डबवाली शहर में बेसहारा गोवंश की संख्या बहुत ज्यादा है। प्रत्येक गली में गोवंश की संख्या औसत दो से तीन आंकी जा रही है। इसके अतिरिक्त मुख्य सड़कों पर भी बेसहारा गोवंश की भरमार है। इस वजह से हादसे होते हैं। हादसों को रोकने के लिए बेसहारा गोवंश को पकड़ने की मांग शहरवासी लंबे समय से करते आ रहे हैं। नगरपरिषद ने बेसहारा गोवंश को पकड़ने के लिए टेंडर काल किए हैं। डबवाली में करीब 500 से ज्यादा गोवंश है।
पकड़े गए गोवंश को टैग करना होगा
एजेंसी को गोवंश यानी गाय और बैल को निर्धारित स्थान पर छोड़ना होगा। शर्त रखी गई है कि फर्म को छोड़े गए गोवंश की रसीद प्रस्तुत करनी होगी और इन रसीदों के आधार पर भुगतान किया जाएगा। फर्म या एजेंसी को प्रत्येक गोवंश को पकड़ने के बाद उसे टैग करना होगा। कार्य के दौरान कोई दुर्घटना होती है, तो एजेंसी ही जिम्मेवारी होगी। नप ने तय किया है कि एजेंसी को ऐसे मामलों का स्वयं निपटान करना होगा। यह शर्त भी रखी गई है कि बैलों की संख्या पकड़े गए कुल गोवंश का कम से कम 50 प्रतिशत होनी चाहिए। इसके बाद ही भुगतान किया जाएगा।
शिकायत केंद्र होगा, तीन दिन मंे निपटानी होगी समस्या
नगरपरिषद ने शिकायत पर त्वरित कार्रवाई के लिए यह शर्त भी जोड़ी है कि जिस फर्म या एजेंसी को वर्क आर्डर जारी किया जाएगा, उसे शिकायतों को निपटाने के लिए एक शिकायत केंद्र और एक टोल फ्री या मोबाइल नंबर सार्वजनिक करना होगा। नियमित आधार पर पकड़े गए बेसहारा गोवंश का एक रजिस्टर भी बनाना होगा। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का सख्ती से पालन करना होगा। लोगों से मिलने वाली शिकायतों का निपटारा तीन दिन के भीतर करना। अगर ऐसा नहीं होगा तो संबंधित को प्रतिदिन 1000 रुपे जुर्माना देना होगा। जो शिकायतें आएंगी, उसका रजिस्टर बनाना होगा।
चारे की व्यवस्था ठेकेदार की करनी होगी
नगरपरिषद ने शर्त रखी है कि बेसहारा गोवंश को निर्धारित स्थान पर छोड़ने के बाद पहले तीन दिनों के लिए चारा या आहार की व्यवस्था ठेकेदार को करनी होगी। इसके अलावा पशुओं की टैगिंग न करने पर 1000 रुपये प्रति गोवंश प्रतिदिन, जनता की शिकायतों का तीन दिन के भीतर समाधान न करने पर 1000 रुपये प्रति गोवंश प्रतिदिन जुर्माना  देना होगा। कार्य के दौरान घायल होने वाले गोवंश का उपचार भी स्वयं ठेकेदार को करना होगा। बताया जाता है कि कार्य की अवधि एक वर्ष के लिए होगी तथा नगर निगम मंडी डबवाली द्वारा इसे एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।

Saturday, 18 January 2025

उम्र कैद

हत्या के मामले में पत्नी-ससुर को उम्र कैद, 25-25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा

साल 2020 में गांव रामगढ़ में पत्नी-ससुर ने घोटे तथा बल्ली सिर पर मारकर की थी जसबीर की हत्या



डबवाली।
शनिवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश वाणी गोपाल शर्मा की अदालत ने हत्या के मामले में फैसला सुनाते हुए पत्नी तथा ससुर को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषियों को 25-25 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा भी सुनाई है। अर्थदंड न भरने पर दोनांे को छह-छह माह का कठोर कारावास भुगतना होगा।
सिर पर घोटे मार-मारकर की थी पति की हत्या
सदर थाना डबवाली के गांव रामगढ़ निवासी जसबीर सिंह की शादी ओढ़ां निवासी जोगिंद्र सिंह की बेटी सिरमनजीत कौर के साथ हुई थी। सिमरनजीत का चरित्र अच्छा न होने के कारण पति-पत्नी में झगड़ा रहता था। पांच अक्तूबर 2020 को सिमरनजीत कौर करीब दो माह बाद वापिस गांव रामगढ़ आई थी। छह अक्तूबर को जोगिंद्र भी बेटी के ससुराल आया हुआ था। छह अक्तूबर 2020 को सुबह करीब साढ़े आठ बजे जसबीर का भाई मक्खन सिंह किराना की दुकान में सामान लेने जा रहा था। तो उसे अपने छोटे भाई की आवाज़ सुनाई दी। वह घर पहुंचा तो देखा कि सिमरनजीत कौर घोटे तथा जोगिंद्र सिंह बल्ली से जसबीर के सिर पर वार कर रहे थे। जिससे जसबीर की मौत हो गई थी। डबवाली सदर थाना पुलिस ने मृतक के भाई मक्खन के बयान पर जसबीर की पत्नी तथा ससुर के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया था।
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने तथा गवाहों के बयानों के आधार पर मृतक जसबीर सिंह की पत्नी गांव रामगढ़ निवासी 39 वर्षीय सिमरनजीत तथा ससुर ओढ़ां निवासी 71 वर्षीय जोगिंद्र सिंह को दोषी करार देते हुए कठोर आजीवन कारावास तथा 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।

10 वर्षीय बच्चे की दर्दनाक मौत

डंपर तले आने से 10 वर्षीय बच्चे की दर्दनाक मौत

तीसरी कक्षा का छात्र था मजदूर जोगिंद्र का इकलौता बेटा हनी सिंह
डबवाली:
गांव डबवाली में मिट्टी से भरे डंपर ने बच्चे को कुचल दिया। उसकी मौके पर ही मौत हो गई। हादसा शनिवार शाम करीब साढ़े पांच बजे हुआ। मृतक की पहचान डा. बीआर आंबेडकर राजकीय महाविद्यालय के पीछे स्थित आवासीय क्षेत्र में रहने वाले मजदूर जोगिंद्र्र सिंह के बेटे 10 वर्षीय हनी सिंह के रुप में हुई है। मृतक तीसरी कक्षा का छात्र था।
ग्रामीणों के अनुसार हनी सिंह साइकिल पर खेल रहा था। वह बेर तोड़ने के बाद घर की ओर जा रहा था। सामने से मिट्टी का भरा डंपर आ गया। वह तेज गति से चल रहा था। उसे साइड देने के लिए वह रुका। चालक ने उसमें टक्कर मार दी। वह डंपर के पिछले टायर के नीचे आ गया। उसका सिर कुचला गया। एक युवती ने शोर मचाया तो चालक डंपर को मौके पर छोड़कर फरार हो गया। बाद में स्वजन मौके पर पहुंचे। उपचार के लिए उसे डबवाली के उपमंडल नागरिक अस्पताल में लेजाया गया। चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। बताया जाता है कि हनी सिंह मां-बाप का इकलौता बेटा था।
उपमंडल नागरिक अस्पताल में तैनात डा. गौरव छाबड़ा ने बताया कि बच्चे का सिर डंपर के टायर तले आने से मौत हुई है। जब उसे अस्पताल लाया गया था तो उसकी मौत हो चुकी थी।
डबवाली शहर थाना प्रभारी शैलेंद्र कुमार ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए डबवाली के उपमंडल नागरिक अस्पताल स्थित शवगृह में रखा गया है। स्वजनों के बयानों के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी।

मसला रोटी दा.....



बहुत खास है डबवाली का राजू वैष्णों ढाबा, इसे चलाने वाले लोगों की पाकिस्तान में हवेली थी

43 साल का इतिहास समेटे है यह ढाबा, मोगा जिले के धर्मकोट कस्बे में एक टी स्टाल से शुरु हुआ था सफर

ढाबे की कडी, साग मक्खनी और प्याज रोटी के दीवाने हैं लोग


डबवाली :

यह कहानी है रोटी दी। सफर शुरु हुआ था पाकिस्तान के मिंटगुबंरी से। एक परिवार जो ड्राई फ्रूट का बड़ा कारोबारी था। बेहद खूबसूरत सी हवेली थी। शान से रोटी खाता था। घर का मुखिया जरुरतमंदों का उपचार भी किया करता था। सभी उन्हें वैद्य जी कहते थे। किसी जमाने पाकिस्तान से विस्थापित होकर परिवार भारत पहुंचा था। रोटी के लिए पंजाब के मोगा जिले के कस्बाई क्षेत्र धर्मकोट में पीपल के पेड़ तले चाय की स्टाल लगाई। रोटी के लिए सफर परिवार को सिरसा के डबवाली लेआया। परिवार के सदस्य ढाबा चलाते हैं। जोकि काफी फेमस है। यह ढाबा डबवाली के इतिहास से जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं, मसला रोटी दा....।

बात कर रहे हैं चौटाला रोड पर बठिंडा चौक के समीप स्थित राजू वैष्णों ढ़ाबा की। जिसे चलाता है गिरधर परिवार। पता है कभी यह ढाबा पंजाब बस अड्डा के समीप चलता था। बात करीब 1977 की है, दिवंगत उल्फत राय गिरधर ने चौटाला रोड पर बस अड्डा के समीप सुभाष टी स्टाल के बैनर तले टी स्टाल शुरु हो गई। 1982-83 में उल्फत राय गिरधर ने अपने पिता वैद्य जी रामदयाल गिरधर के नाम से वैद्य जी दी हट्टी लिखकर राजू वैष्णों ढाबा शुरु किया। बड़े बेटे राजकुमार उर्फ राजू गिरधर के नाम से ढाबा था तो बड़ा बेटा भी हाथ बंटाने लगा। पिता रोटियां सेंकते थे, सब्जी बनाते थे तो महज 13 वर्ष का राजू बर्तन धोया करता था। ग्राहकों को रोटी-सब्जी दिया करता था। फिर मंझला बेटा अशोक गिरधर उर्फ रिंकू, सबसे छोटा बेटा मनीष उर्फ मोनू भी हाथ बंटाने लगे। उस वक्त रोडवेज कर्मचारी तथा लक्कड़ मंडी के व्यापारी ग्राहक होते थे।

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प्याज की रोटी और कड़ी है फूड लवर की पसंद

महज 2 रुपये में भरपेट भोजन मिल जाता था इस ढाबे पर। दाल-रोटी, आलू-छोले बनते थे। दो-दो रुपये जोड़कर गिरधर परिवार सफलता की सीढ़ियां चढ़ता गया। वर्ष 1996 में ढाबा बठिंडा चौक के समीप शिफ्ट हो गया। तब से वहीं है। हर रोज करीब 200 से 250 लोग इस ढाबे पर भोजन करते हैं। ढाबे की कड़ी, साग मक्खनी, दाल तड़का, प्याज की रोटी काफी मशहूर है। सुबह करीब नौ से रात्रि 11 बजे तक यह ढाबा खुलता है। 43 वर्ष हो गए इस ढाबे को डबवाली में चलते हुए। यह ढाबा अब डबवाली के इतिहास में दर्ज हो गया है। बेशक आज ढाबा शुरु करने वाले उल्फत राय गिरधर हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके तीनों बेटे वैद्य जी दी हट्टी यानी राजू वैष्णों ढाबे रुपी उनके लगाए पौधे को सींच रहे हैं।

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60 रुपये महीने में करता था नौकरी

राजकुमार उर्फ राजू गिरधर बताते हैं कि दादी विद्या देवी अक्सर कहानी सुनाती थी। वो कहती थीं कि पाकिस्तान में बहुत बड़ा कारोबार था। हवेली जो थी, वह ड्राई फ्रूट से भरी रहती थी। पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत आए तो उस वक्त मेरे पिता उल्फत राय महज चार वर्ष के थे। धर्मकोट में पनाह मिली थी। पिता ने 10वीं करने के बाद वहीं पीपल के पेड़ तले चाय का खोखा लगाया था। मसला रोटी दा डबवाली ले आया। कहानी खत्म करने से पहले बता दूं कि गिरधर परिवार को सफलता यूं ही नहीं मिली। क्यांेकि वह समय भी था, जब राजकुमार गिरधर डबवाली के मीना बाज़ार में 60 रुपये महीना तक नौकरी करते थे। करीब दो साल तक नौकरी की। बाद में पिता ने ढाबा शुरु किया, फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।


रिपोर्ट:

डीडी गोयल

आवाज़ न्यूज नेटवर्क

मो. 8059733000

Friday, 17 January 2025

विज साहब! अपना महकमा संभालिए

डबवाली-रानियां रुट: समय न बस अड्डा, मनमर्जी कर रहे रोड़वेज कर्मचारी

यात्री परेशान, सरकार को वित्तीय नुकसान हो रहा, जीएम को दर्ज करवाई शिकायत
डबवाली-रानियां रुट पर चलने वाली बस। जोकि समय 9.19 बजे गांव डबवाली के समीप खड़ी है। इस बस को इस समय गांव मौजगढ़ में होना चाहिए। पता चलता है कि रोड़वेज चालक-परिचालक जानबूझकर निर्धारित समय सारिणी तथा नियमों की पालना नहीं कर रहे।


अनिल विज को हरियाणा का सबसे खतरनाक मंत्री कहा जाता है। ऐसा इसलिए कि वे लापरवाह अधिकारियों को बख्शते नहीं है। लेकिन उनके खुद के महकमें में ही लापरवाह अधिकारियों तथा कर्मचारियों की फौज है। जो विभागीय नियमों की पालना नहीं करते। न ही रोड़वेज द्वारा निर्धारित मापदंडों को मानते हैं। यहां तक की अब इन कर्मचारियों ने यात्रियों को परेशान करना शुरु कर दिया है। पढ़ें यह खबर.....

डबवाली।
डबवाली से सिरसा वाया रानियां रोड पर चलने वाली हरियाणा रोड़वेज की बसें निर्धारित बस अड्डों पर नहीं रुकती हैं। माना जा रहा है कि निजी बस आपरेटरों को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। इससे हरियाणा सरकार को वित्तीय नुकसान हो रहा है। वहीं लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। उक्त रुट पर यात्रा करने वाले लोगों ने हरियाणा रोड़वेज सिरसा के महाप्रबंधक को शिकायत दर्ज करवाई है।
शिकायतकर्ता सतनाम सिंह, भागा राम, सुरेश कड़वासरा, दया राम, विंकल कुमार, प्रहलाद, राहुल आदि ने बताया कि शाम 4.55 बजे डबवाली से चलकर रानियां को जाने वाली बस के चालक-परिचालक मनमर्जी कर रहे हैं। पिछले 15 दिनों से गांव डबवाली के नामा बस स्टेंड पर बस नहीं रोक रहे। सवारियों को देखते ही बस भगा लेजाते हैं। ठंड तथा बरसात के मौसम में अपने गंतव्य तक पहुंचने में प्रतिदिन देरी होती है। साथ ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं विभाग को भी वित्तीय नुकसान होता है।
ग्रामीणों के अनुसार 16 जनवरी को सुबह हरियाणा रोडवेज की बस रानियां से चलकर डबवाली की ओर जा रही थी। चालक तथा परिचालक अपनी मनमर्जी के समय मुताबिक बस चला रहे थे। विभाग की समय सारिणी तथा नियमों की धज्जियां उड़ा रहे थे। विभाग द्वारा तय की गई समय सारिणी के अनुसार गांव मौजगढ़ में रोडवेज बस का समय सुबह 9.18 बजे है। लेकिन चालक ने सुबह 9.19 बजे ही मौजगढ़ से कई किलोमीटर दूर स्थित गांव डबवाली में नाका वाले बस अड्डा पर बस को पहुंचा दिया। प्रत्येक बस अड्डा से पहले निकल जाने के कारण महाविद्यालय तथा स्कूलों मंे जाने वाले छात्र-छात्राओं और यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
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चालक-परिचालक करते हैं मनमर्जी
ग्रामीणों के अनुसार गांव डबवाली के नाका बस अड्डा पर बस रोकने की गुहार लगाई गई थी। चालक आनाकानी करने लगा। कहने लगा कि आज के बाद यहां बस नहीं रुकेगी। आप पिछले बस स्टेंड पर ही उतर जाना। लोगों के अनुसार इससे यह साबित होता है कि चालक तथा परिचालक अपनी मनमर्जी के समय अनुसार डबवाली-रानियां रुट पर बस चला रहे हैं। यात्रियों को परेशान करने के साथ-साथ विभाग को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं।

शराब तस्करी

ड्राई राज्यों में पंजाब से शराब तस्करी का सिलसिला है पुराना

हरियाणा के रास्ते गुजरात भेजी जाती है शराब, वर्ष 2022 में पकड़ी गई थी सबसे बड़ी खेप
डबवाली:
पंजाब से ड्राई राज्य बिहार तथा गुजरात में हरियाणा के रास्ते शराब तस्करी हो रही है। पकड़े गए आरोपित ट्रक चालक करनाल जिले की असंध तहसील के थाना मुनक के गांव पाडा निवासी अमरजीत सिंह के संबंध में पुलिस ने राजफाश किया है।
एसपी सिद्धांत जैन ने बताया कि आरोपित नशा करने का आदी है। काफी समय पहले लुधियाना में एक फैक्टरी में काम करता था। फैक्टरी से प्राप्त तनख्वाह से नशा व घर का खर्च पूरा नहीं होता था। इसलिए नशापूर्ति व घरेलू खर्च पूरा करने, शौक पूरे करने के लिए शराब की तस्करी शुरू कर दी थी जिससे एक चक्कर के 40 से 50 हजार रुपए मिल जाते थे। जो इससे पहले आरोपित द्वारा काफी चक्कर ड्राई राज्य बिहार व गुजरात मे अपने साथियों के साथ मिलकर लगाये हैं। इसी दौरान करीब छह माह पहले उसके खिलाफ बिहार व गुजरात राज्य मे शराब के मुकदमे दर्ज हैं तथा हरियाणा के जिला सोनीपत मे भी एक मुकदमा दर्ज है।
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वर्ष 2019 मंे बरामद हुई थी 1450 पेटी शराब
सीआइए डबवाली ने ऐलनाबाद रोड पर गांव मौजगढ़ के समीप ट्रम में 1450 पेटी शराब (17 हजार बोतल) पकड़ी थी। बोतलों पर फोर सेल इन अरुणाचल प्रदेश का मार्का लगा हुआ था। पुलिस ने दावा किया था कि उक्त शराब पंजाब में निर्मित हुई थी।
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2022 में बरामद हुई थी 505 पेटियां
वर्ष 2022 में पुलिस ने डबवाली के चौटाला रोड पर डीएवी स्कूल के समीप एक ट्रक से 505 पेटी शराब बरामद की थी। जोकि जालंधर से गुजरात लेजाई जा रही थी। उस वक्त गुजरात में विधानसभा चुनाव घोषित हुए थे।
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सितंबर 2024 में पकड़ी गई थी 163 पेटियां
सितंबर 2024 में सीआइए डबवाली ने गांव शेरगढ़ के समीप पंजाब निर्मित शराब की 163 पेटियां बरामद की थी। पुलिस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। आरोपित पिकअप गाड़ी में शराब भरने के बाद तिरपाल डालकर लेजा रहे थे।

Sunday, 12 January 2025

लोहड़ी


लोहड़ी
 मनाने की परंपरा मुगल शासक अकबर के जमाने से चली आ रही है। जब दुल्ला भट्टी नामक एक डाकू ने दो सगी बहनों की इज्जत बचाते हुए शादी करवाई थी। कन्यादान में सवा सेर शक्कर डाली थी। बेटियों की आबरु बचाकर डाकू इतिहास के पन्नों में सदा-सदा के लिए दर्ज हो गया। लोहड़ी पर जो भी लोकगीत हैं, सभी में दुल्ला भट्टी के किस्से का जिक्र जरुर है। वैसे तो भारत त्यौहारों का देश है। हमारी संस्कृति कहती है कि बेटियों के बिना ये त्यौहार अधूरे हैं। खासकर लोहड़ी जैसा त्यौहार जो सीधा नारी सम्मान से जुड़ा है। जमाने के साथ उसमें परिवर्तन करके त्यौहार के मात्थे पर नवविवाहित जोड़ों तथा बेटे के जन्म का टिका मड दिया। हम खुद ही संस्कृति को ठेस पहुंचाने पर उतारु हो गए थे। लेकिन हमारी संस्कृति की जड़ें इतनी गहरी हैं कि एक बार फिर से बदलाव आया है। बेटियों की लोहड़ी मनाई जाने लगी है। वर्ष 2017 में हरियाणा के जिला सिरसा में पंजाबी मूल की तत्कालीन उपायुक्त शरणदीप कौैर बराड़ ने बड़ी पहल की थी। गांव, ब्लाक से लेकर जिला स्तर तक बड़े कार्यक्रम आयोजित करके धीयां दी लोहड़ी मनाई गई। दूसरी बेटी को जन्म देने वाली करीब पांच सौ महिलाओं को सम्मानित किया गया था। कार्यक्रम के जरिए शरणदीप कौर बराड़ ने समाज को बेटियों के प्रति सोच बदलने का पैगाम दिया था। जिसके सकारात्मक परिणाम नजर आ रहे हैं। गली-मोहल्लों में लोग बेटी के जन्म पर लोहड़ी मनाने लगे हैं। इसके अलावा हरियाणा सरकार के आदेश पर प्रदेश के विभिन्न जिलों ने अपने-अपने स्तर पर बेटियों की लोहड़ी पर कार्यक्रम आयोजित किए थे।

अब पाकिस्तान में है इतिहासिक इलाका
इतिहासकार लोहड़ी को दुल्ला भट्टी की कहानी से जोड़ते हैं। लोहड़ी पर प्रचलित सभी लोकगीत दुल्ला भट्टी से ही जुड़े हैं। बॉलीवुड तक गीतों का सफर जारी है। यह भी कह सकते हैं कि लोहड़ी के गानों का केंद्र बिंदु दुल्ला भट्टी को ही बनाया जाता हैं। इतिहासकारों के अनुसार दुल्ला भट्टी मुग़ल शासक अकबर के समय में पंजाब में रहता था। उस समय संदल बार नाम जगह पर लड़कियों को गुलामी के लिए बल पूर्वक अमीर लोगों को बेच जाता था। जिसे दुल्ला भट्टी ने एक योजना के तहत लड़कियों को न की मुक्त ही करवाया बल्कि उनकी शादी भी करवाई और उनके शादी के सभी व्यवस्था भी करवाई। दुल्ला भट्टी एक विद्रोही था और जिसकी वंशवली भट्टी राजपूत थे। उसके पूर्वज पिंडी भट्टियों के शासक थे जो की संदल बार में था अब संदल बार पकिस्तान में स्थित हैं। वह सभी पंजाबियों का नायक था।

बसंत के स्वागत का त्यौहार भी है लोहड़ी
लोहड़ी का त्यौहार पंजाबियों का प्रमुख त्यौहार माना जाता है। यह लोहड़ी का त्यौहार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू काश्मीर और हिमांचल में धूम धाम तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं। यह त्यौहार मकर संक्राति से एक दिन पहले 13 जनवरी को हर वर्ष मनाया जाता हैं। लोहड़ी त्यौहार के उत्पत्ति के बारे में काफी मान्यताएं हैं जो की पंजाब के त्यौहार से जुडी हुई मानी जाती हैं। कई लोगो का मानना हैं कि यह त्यौहार बसंत ऋतु के आगमन के रूप में मनाया जाता हैं। आधुनिक युग में अब यह लोहड़ी का त्यौहार सिर्फ पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू काश्मीर और हिमांचल में ही नहीं अपितु बंगाल तथा उडिय़ा लोगों द्वारा भी मनाया जा रहा हैं।

समय ने बदल दिया त्यौहार का स्वरुप
पहले लोहड़ी से 20-25 दिन पहले ही बालक एवं बालिकाएं लोहड़ी के लोकगीत गाकर लकड़ी और उपले इक्ट्ठा करना शुरु कर देते थे। संचित सामग्री से चौराहे या मुहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाई जाती है। मुहल्ले या गांव भर के लोग अग्नि के चारों ओर आसन जमा लेते थे। घर और व्यवसाय के कामकाज से निपटकर प्रत्येक परिवार अग्नि की परिक्रमा करता था। तिल, रेवड़ी, मक्की के भूने दाने अग्नि की भेंट किए जाते थे। गज्ज़क, मूंगफली के साथ-साथ उपरोक्त चीजें प्रसाद के रूप में उपस्थित लोगों को बांटी जाती थी। घर लौटते समय लोहड़ी में से दो चार दहकते कोयले, प्रसाद के रूप में घर पर लाने की प्रथा भी थी। लेकिन समय ने त्यौहार का स्वरुप बदल दिया है। अब लगभग हर घर के आगे निजी रुप से लोहड़ी मनाई जाती है। लोग तिल, रेवड़ी, मक्की के दाने तो अग्नि भेंट करते हैं। लेकिन लोहड़ी मांगने कोई नहीं आता। न ही गली में एक जगह लोहड़ी मनती है।

अब लोकगीत नहीं, डीजे बजता है
पहले लोहड़ी पर महिलाएं लोकगीत गाती थी। पंजाबी मुटियारेंगिद्दे से धरती हिला देती थीं। अब यह बात कहानी बन गई है। चूंकि युवा पीढ़ी को लोक गीत नहीं आते। तो वे पॉलीवुड गानों का सहारा लेते हैं। पूरी रात ऊंची आवाज में डीजे बजता है। नाम गाना चलता है। मस्ती इतनी बढ़ जाती है कि रंग में भंग शुरु हो जाता है। परंपरा निभाने की बात तो दूर, लोहड़ी पर ही ढिशुम-ढिशुम शुरु हो जाती है। हर बार भिन्न-भिन्न जगहों से ऐसे कई शर्मसार करने वाले मामले सामने आते हैं।


लोहड़ी के लोकगीत
लोहड़ी पर अनेक लोक-गीतों के गायन का प्रचलन है। सुंदर-मुंदरिए, तेरा की विचारा-दुल्ला भट्टी वाला... शायद सबसे लोकप्रिय गीत है जो इस अवसर पर गाया जाता है। पूरा गीत इस प्रकार है।
सुंदर मुंदरिए- हो तेरा कौन विचारा-हो 
दुल्ला भट्टी वाला-हो 
दुल्ले ने धी ब्याही-हो 
सेर शक्कर पाई-हो 
कुडी दे बोझे पाई-हो 
कुड़ी दा लाल पटाका-हो 
कुड़ी दा शालू पाटा-हो 
शालू कौन समेटे-हो 
चाचा गाली देसे-हो 
चाचे चूरी कुट्टी-हो
जिमींदारां लुट्टी-हो 
जिमींदारा सदाए-हो 
गिन-गिन पोले लाए-हो 
इक पोला घिस गया जिमींदार वोट्टी लै के नस्स गया - हो! 


मांगी जाती थी लोहड़ी
लोहड़ी मांगने के लिए बच्चों की टोलियां गलियों में निकलती थी। जो गीत गाकर लोहड़ी मांगते थे। यदि कोई लोहड़ी देने में आनाकानी करता है तो ये मसखऱे बच्चे ठिठोली भी करते थे। अब यह नहीं होता। पहले ऐसे मांगी जाती थी लोहड़ी
पा नी माई पाथी तेरा पुत्त चढेगा हाथी
हाथी उत्ते जौं तेरे पुत्त पोत्रे नौ! 
नौंवां दी कमाई तेरी झोली विच पाई 
टेर नी माँ टेर नी 
लाल चरखा फेर नी! 
बुड्ढी साँस लैंदी है 
उत्तों रात पैंदी है 
अन्दर बट्टे ना खड्काओ 
सान्नू दूरों ना डराओ! 
चारक दाने खिल्लां दे 
पाथी लैके हिल्लांगे 
कोठे उत्ते मोर सान्नू 
पाथी देके तोर!

प्रस्तुति ::
डीडी गोयल
आवाज़ न्यूज़ नेटवर्क
मो. 8059733000

बाऊ जी

लोहड़ी खास खबर:

दो दोस्तों की दोस्ती और मेहनत की कहानी है......बाऊ जी

करीब 31 साल पहले दो दोस्तों ने मजदूरी करके खड़ी की है फैक्टरी, आज मजदूरों को साथी मानते हैं दोनों




डबवाली।

बाऊ जी...31 साल से चला आ रहा ब्रांड है। करीब 100 से ज्यादा परिवार आश्रित हैं। शुरुआत हुई थी वर्ष 1994 में। जब दो दोस्त काम की तलाश में निकले थे। अंकल चिप्स फेमस थी, समझा महंगी है, क्यों ना चिप्स हर हाथ में पहुंचाई जाए। फिर आलू चिप्स बनाई। दोस्तों ने रेहड़ी उठाई और चल दिये दुकान-दुकान। उस वक्त मजदूरों की तरह मेहनत की। पसीने की कद्र पता चली थी।

आज दोनों दोस्त 100 से ज्यादा परिवारों के लिए बाऊ जी बनें हैं। हम बात कर रहे हैं डबवाली निवासी अजय कुमार और राकेश कुमार की। जो लघु उद्योग चलाते हैं। जिसमें 60 से ज्यादा प्रवासी मजदूर काम करते हैं। उनका बनाया हुआ प्रोडक्ट हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में करीब 200 किलोमीटर के दायरे में बिकता है। बेचने वाले करीब 50 से ज्यादा परिवार हैं। उनको भी एक तरीके से रोजगार मिला हुआ है। बता दें, बाजार में बाऊ जी के नाम से चिप्स, हर प्रकार की गज्जक, रेवड़ी, तिल के लड्डू बिकते हैं।

मजदूर नहीं परिवार है

देश में बेरोजगारी बड़ा मामला है। रोजगार देने वाला हर इंसान गरीबी उन्मूलन में योगदान दे रहा है। कुछ ऐसा ही ये दोनों दोस्त कर रहे हैं। फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों को मजदूर नहीं समझते, बल्कि अपना परिवार मानते हैं। तभी तो जो प्रोडक्ट बिकता है उसका एक हिस्सा मजदूरों में बांट दिया जाता है। ताकि वे भी सम्मान पूर्वक जीवन व्यतीत कर सकें। बता दें, फैक्टरी में कुछ परिवार ऐसे हैं जिन्हें काम करते हुए 12 वर्षों से अधिक समय हो गया है। सभी परिवार प्रवासी हैं।

हमनें खुद लेबर का काम किया है। इसलिए जो फैक्ट्री में काम करता है वो हमें मजदूर नहीं साथी लगता है। बुजुर्गों को सम्मान के साथ बाऊ जी कहते हैं, इसलिए प्रोडक्ट का नाम बाऊ जी रखा था।

-अजय कुमार, संचालक


रिपोर्ट :

डीडी गोयल

आवाज़ न्यूज नेटवर्क

मो. 8059733000

Thursday, 9 January 2025

लापरवाही

विकास कार्य का टेंडर किया, साइट पर खड़े हैं पेड़




जनस्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर हुई, भारुखेड़ा जलघर में बनना है एसएस टैंक


करीब 2.54 करोड़ का है विकास कार्य, जन संवाद मंे ग्रामीणों ने उठाई थी मांग

डबवाली।
जनस्वास्थ्य विभाग ने गांव भारुखेड़ा में पेयजल पाइप बिछाने, जलघर में एसएस टैंक बनाने के लिए टेंडर काल किया। फिर ठेकेदार को वर्क अलाट कर दिया। ठेकेदार मौके पर पहुंचा तो साइट पर पेड़ खड़े थे। बताया जाता है कि पेड़ों की संख्या करीब 20 से ज्यादा है। करीब तीन माह बीत गए हैं, ठेकेदार को साइट उपलब्ध नहीं करवाई है। ऐसे में एसएस टैंक बनाने का कार्य शुरु नहीं हुआ है। प्रोजेक्ट करीब 2.54 करोड़ रुपये का है। जन संवाद के दौरान ग्रामीणों ने पेयजल समस्या के समाधान की मांग की थी। तब जाकर सरकार ने प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। लेकिन जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण कार्य तीन माह से अटका हुआ है।
पाइप लाइन बिछाई जा रही, ग्रामीण आरोप लगा रहे
गांव भारुखेड़ा में जनस्वास्थ्य विभाग का कार्य सिरसा के गांव ताजियाखेड़ा निवासी ठेकेदार संत लाल कर रहा है। एसएस टैंक के लिए जगह उपलब्ध न होने के कारण संत लाल ने पानी लाइन बिछानी शुरु कर दी है। ग्रामीण पाइप लाइन बिछाने में गड़बड़ी के आरोप लगा रहे हैं। ग्रामीण प्रवीण गोदारा का आरोप है कि ठेकेदार विभाग के अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके पाइप लाइन को दो फीट की गहराई पर दबा रहा है। जबकि गहराई कम से कम तीन फीट होनी चाहिए। यहां तक की बिना एनओसी गलियां उखाड़ी जा रही हैं। उक्त ठेकेदार ने लोक निर्माण विभाग (भवन एवं पथ) की रोड तक उखाड़ दी है। इधर ब्लाक समिति सदस्य नरेश कुमार ने बताया कि गांव मंे भेदभावपूर्ण तरीके से छोटी-बड़ी साइज की पाइप लाइन बिछाई जा रही है। जोकि गलत है। उसने जन प्रतिनिधि होने के नाते जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को शिकायत दर्ज करवाई है। लेकिन अधिकारी सुनवाई तक नहीं कर रहे। ग्रामीणों के अनुसार एसडीओ राय सिंह सिधू तथा जेई हेमंत सिंगला की देखरेख में यह कार्य हो रहा है।
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जनस्वास्थ्य विभाग के नियमानुसार कार्य कर रहा हूं। आरोप गलत तथा बेबुनियाद है। अभी एसएस टैंक के निर्माण का कार्य शुरु नहीं हुआ है। उसकी वजह है कि साइट पर पेड़ खड़े हैं। पेड़ हटाए जाएंगे तो उसके बाद ही कार्य शुरु कर पाउंगा।
-संत लाल, ठेकेदार
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एस्टीमेट के मुताबिक कार्य हो रहा है। जिस साइज की पाइप बिछाई जानी है, वही बिछाई जा रही है। किसी तरह का भेदभाव नहीं हो रहा। ब्लाक समिति सदस्य नरेश की शिकायत मिली है। उन्हें जानकारी दी गई है।
-राय सिंह सिधू, एसडीओ, जनस्वास्थ्य विभाग डबवाली
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भारुखेड़ा गांव में एसएस टैंक की साइट पर पेड़ हैं। इस संबंध में वन विभाग से बातचीत चल रही है। उम्मीद है कि जल्द समस्या का समाधान होगा।
-विजय कुमार, एक्सईएन, जनस्वास्थ्य विभाग डबवाली

डकैती की योजना का मास्टर माइंड

 ट्रैक्टर चालक निकला डकैती की योजना का मास्टर माइंड, 2.90 लाख बरामद

घटना स्थल के समीप झाड़ियों में दबा दी थी नकदी, कर्ज उतारने के लिए बनाई थी योजना
डबवाली
कर्ज उतारने के लिए ट्रैक्टर चालक ने डकैती की झूठी कहानी गढ़ी थी। पुलिस ने हनुमानगढ़ निवासी ट्रैक्टर चालक बलकरण सिंह को गिरफ्तार करके आरोपित से 2.90 लाख रुपये की नकदी बरामद कर ली है।
सदर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर ब्रहमप्रकाश ने बताया कि बलकरण सिंह पर 50 हजार रुपये का कर्ज है। कर्ज उतारने के लिए वह डकैती की योजना का मास्टर माइंड बन गया। उसने अबूबशहर गांव के समीप भारत माला पुल के समीप नकदी एक पालीथिन में डालकर झाड़ियों में दबा दी। उसने बताया कि हनुमानगढ़ में ट्रैक्टर चालकों ने ऐसी वारदात को अंजाम दिया था। उन पर किसी को संदेह नहीं हुआ, न ही वे पकड़े गए। इसलिए उसने उक्त योजना बनाई थी। ब्रहमप्रकाश के अनुसार शिकायतकर्ता द्वारा किसी व्यक्ति से द्वेष या रंजिश या अन्य किसी कारण से झूठी शिकायत दी जाती है और अनुचित तरह से पुलिस कार्यवाही की मांग करके पुलिस का समय बर्बाद किया जाता है, जो धारा 217 बीएनएस की अवहेलना है। उक्त धारा के तहत ही बलकरण के विरुद्ध कार्रवाई की गई है।
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यह है मामला
हनुमानगढ़ निवासी बलकरण सिंह ने पुलिस को दिए बयान में बताया था कि वह हनुमानगढ़ के आढ़ती दीपक का 110 क्विंटल बाजरा लेकर लुधियाना गया था। लुधियाना में बाजरा बेचने के बाद 2.94 लाख रुपये लेकर वापिस हनुमानगढ़ लौट रहा था। बुधवार को अल सुबह करीब पौने चार बजे गांव अबूबशहर के समीप बाइक सवार चार युवकों ने उसका रास्ता रोक लिया। इसी दौरान ट्रैक्टर पर चढ़े दो युवकों ने पीछे से उसे पकड़ लिया। उससे मारपीट करते हुए आरोपितों ने उसके स्वेटर में छिपाकर रखी उक्त नकदी निकाल ली थी। आरोपित रस्सों से उसके हाथ-पैर बांधकर सड़क के बीचों-बीच फेंककर फरार हो गए थे।
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इन कारणों से संदेहजनक था मामला
पुलिस ने घटना का विवरण जानने के बाद आरोपित का मेडिकल करवाया था। चिकित्सीय जांच में यह पुष्टि हुई थी कि उसके साथ मारपीट नहीं हुई है। वहीं बलकरण का मोबाइल फोन तथा उसकी जेब में नकदी थी। सवाल था कि जब छह लोग वारदात करने आए हैं तो उसका मोबाइल फोन तथा उसकी जेब से रुपये क्यों नहीं निकाले गए? पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज तथा ट्रैक्टर में लगे जीपीएस की मदद से जांच की तो सच सामने आ गया।

भारतीय वायुसेना में भर्ती

भारतीय वायुसेना में भर्ती के लिए करवाएं रजिस्ट्रेशन

सिरसा।
अग्निपथ स्कीम के तहत अग्निवीर वायु भर्ती के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 27 जनवरी 2025 तक होंगे। इच्छुक अविवाहित पुरुष एवं महिलाएं उम्मीदवार भर्ती से संबंधित सभी नियमों की विस्तृत जानकारी भारतीय वायुसेना की आधिकारिक वेबसाइट से प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही वेबसाइट पर लॉग इन कर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
सेना के प्रवक्ता ने बताया कि 12वीं उत्तीर्ण अविवाहित पुरुष एवं महिलाएं उम्मीदवार जिनका जन्म 1 जनवरी 2005 से 1 जुलाई 2008 के बीच हुआ हो, इस भर्ती के लिए पात्र होंगे। आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से मैथमेटिक्स, फिजिक्स और इंग्लिश विषय में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास होना चाहिए अथवा 2 वर्षीय वोकेशनल कोर्स अथवा 3 वर्षीय इंजीनियरिंग डिप्लोमा पास होना आवश्यक है। साइंस स्ट्रीम के अलावा, अन्य संकाय के कैंडिडेट्स भी अप्लाई कर सकते है। इसके लिए अभ्यर्थी डिटेल्स में शैक्षणिक योग्यता की जांच करने के लिए पोर्टल पर नोटिफिकेशन देख सकते हैं। साथ ही, योग्यता संबंधित अन्य जानकारी के लिए पोर्टल पर विजिट कर सकते हैं।

चोरी करने के आरोपित काबू

 


देसूजोधा गांव में चोरी करने के आरोपित काबू, सामान बरामद

डबवाली:

देसूजोधा पुलिस ने चोरी के मामले में दो आरोपितों को काबू करने में सफलता हासिल की है। आरोपितों की पहचान गांव देसूजोधा निवासी कुलदीप सिंह उर्फ पोटू, रमना उर्फ बगला के रुप में हुई है।

देसूजोधा चौकी प्रभारी एएसआइ विजय कुमार ने बताया कि नौ जनवरी को देसूजोधा गांव निवासी गुरशरण सिंह की शिकायत पर केस दर्ज किया गया था। शिकायत में कहा था कि पांच जनवरी को वह अपने खेत में पानी लगाकर और अपने खेत में बने कमरे पर ताला लगाकर अपने घर आ गया था। सुबह वह अपने खेत में गया तो उसने देखा की उसके कमरे का ताला टूटा हुआ है। भीतर पड़े गैस सिलेन्डर, एक कटर, कुछ लोहे का समान, दो कट्टे खाद, तीन लीटर कीटनाशक दवाई व कुछ बर्तन चोरी हो गए हैं। जिस पर अभियोग दर्ज किया गया था। साइबर सेल की सहायता से आरोपितों को गिरफ्तार किया गया। आरोपितों के कब्जे से चोरीशुदा समान को बरामद किया गया है।

Tuesday, 7 January 2025

कैंटर पलटा, लोग टूट पड़े


 

फिरनी दा मामला

खुइयांमलकाना में शुरु नहीं हुआ फिरनी का निर्माण, ठेकेदार बोला-सरकार बजट अलाट नहीं करती

80 लाख रुपए से इंटर लाक टाइल से बननी है फिरनी, तीन गांवों को जोड़ती है फिरनी, ग्रामीण परेशान



डबवाली।
गांव खुइयांमलकाना में टेंडर होने के बाद भी फिरनी का निर्माण कार्य शुरु नहीं हुआ है। मंगलवार को ग्रामीण कर्ण मेहता ने पंचायती राज विभाग के एक्सइएन, पंचायत मंत्री को शिकायत दी है।
कर्ण मेहता ने शिकायत में कहा कि गांव के सरकारी स्कूल से लेकर मलिकपुरा रोड तक फिरनी बनाने का टेंडर हुआ था। टेंडर के मुताबिक 120 दिन के भीतर रास्ता बनना था। काफी समय बीतने के बावजूद फिरनी नहीं बनी है। इस फिरनी को तीन गांवों का रास्ता लगता है। खुइयांमलकाना से मलिकपुरा, दूसरा रास्ता गोरीवाला वाया मटदादू तथा तीसरा रास्ता दिवानखेड़ा को जाता है। इसके अतिरिक्त यह गांव का मुख्य रास्ता है। बारिश के दिनों में यह रास्ता कीचड़ में बदल जाता हैं फिरनी न बनने से स्कूल में आने-जाने वाले बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा पूरा दिन ग्रामीण परेशान रहते हैं।
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80 लाख से बननी है फिरनी
पंचायती राज विभाग अधिकारियों के अनुसार गांव खुइयांमलकाना की फिरनी इंटर लाक टाइल से बननी है। इस निर्माण कार्य पर करीब 80 लाख रुपये खर्च होने हैं। लेकिन पंचायती राज विभाग अधिकारियों की हीलाहवाली के चलते ठेकेदार ने कार्य शुरु करना जरुरी ही नहीं समझा।
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ठेकेदार बोला-सरकार बजट अलाट नहीं करती
इधर ठेकेदार चरणजीत सिंह देसूजोधा ने कहा कि टेंडर चुनाव से पहले हुआ था। सरकार बजट अलाट नहीं करती है। ग्रे वाटर स्कीम का बजट साल-दो साल बीतने के बावजूद नहीं आया है। इसलिए हम बजट की प्रतीक्षा कर रहे थे। निर्माण सामग्री मौके पर पड़ी है। कल से फिरनी का निर्माण कार्य शुरु कर देंगे।
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मैंने आज खुइयांमलकाना गांव में फिरनी का निरीक्षण किया है। ग्रामीणों ने कार्य शुरु करवाने की मांग की है। ठेकेदार चरणजीत सिंह को कार्य शुरु करने के लिए नोटिस दिया जा चुका है। जल्द निर्माण कार्य शुरु करवाया जाएगा।
-पिरथी राज रिवाड़िया, एसडीओ, पंचायती राज विभाग डबवाली

रिपोर्ट ::
डीडी गोयल
आवाज़ न्यूज़ नेटवर्क
मो. 8059733000

एसपी सिद्धांत जैन का बड़ा प्रोजेक्ट

स्कूलों में बनेगी पुलिस कैडेट टीम, मिलेगी पुलिस कार्यप्रणाली की जानकारी

डबवाली पुलिस जिले के प्रत्येक स्कूल में बनेगी पुलिस कैडेट टीम, नौवीं से 12वीं के विद्यार्थी होंगे शामिल




डबवाली।
एसपी सिद्धांत जैन ने डबवाली के सरकारी तथा निजी स्कूलों में पुलिस कैडेट टीम तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इस टीम में नौवीं से से 12वीं तक के छात्र शामिल होंगे। जिन्हें पुलिस की कार्य प्रणाली के बारे में जागरुक किया जाएगा। मंगलवार को एसपी ने निजी तथा सरकारी स्कूल प्रबंधकों के साथ बैठक करके उन्हें इस संबंध में जागरुक किया। स्कूल प्रबंधकों ने एसपी को सुझाव भी दिए। एसपी ने कहा कि जिला डबवाली के सभी स्कूलों में संबंधित थाना के कर्मचारी एक महीने में एक बार स्कूल में जाकर नशे के अलावा साइबर जागरूकता, मोटर वाहन अधिनियम व वुमेन सेफ्टी बारे जागरूकता कार्यक्रम करेंगे।
बैठक में शिकायत मिलने पर एसपी ने कहा कि राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल ब्वाय मंडी डबवाली के सामने ट्रिपल राईडिंग के चालान किए जाएंगे। यह भी पता चला कि देसूजोधा स्कूल में छुट्टी के बाद बाहरी लोग स्कूल के अन्दर आकर नशा करते है। एसपी ने देसूजोधा चौकी प्रभारी को स्वयं जाकर निरीक्षण करने तथा नियमानुसार कार्रवाई के आदेश दिए। एसपी के सामने यह बात भी आई कि डबवाली के सिरसा रोड पर स्थित गुरु गोबिंद सिंह खेल स्टेडियम के भीतर चल रही राजकीय प्राइमरी पाठशाला में नशा करने वाले आते हैं। एसपी न त्वरित कार्रवाई करते हुए इआरवी तथा राइडर को पाठशाला में गश्त करने तथा एएनसी स्टाफ को स्टेडियम में नशा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए।
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छुट्टी के बाद बाहरी व्यक्ति करते हैं नशा
सिद्धांत जैन ने कहा कि प्रतिदिन दो-दो कर्मचारी अपने-अपने एरिया के स्कूल में सुबह प्रार्थना के समय जाएंगे। बच्चो को मोटर वाहन अधिनियम व स्कूल में दिए गए टैब का गलत उपयोग न हो इस संबंध मंे जागरुक करेंगे। बैठक में चर्चा का विषय नशा ही रहा। बात सामने आई कि गांव मसीतां में स्कूल की छुट्टी के बाद बाहरी व्यक्ति नशा करते हैं। सिद्धांत जैन ने संबधित थाना प्रभारी को प्रतिदिन नियमानुसार कार्रवाई करने की हिदायत दी।

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Monday, 6 January 2025

बर्फी की कहानी

पिता ने दिया गुर, बेटे ने मेहनत की भट्ठी में खुद को साबित किया, डबवाली की रोस्टेड बर्फी विदेश में हिट

12 साल की उम्र में कश्मीरी लाल बनाने लगे थे रोस्टेड बर्फी, पिता के साथ अब हाथ बंटाते हैं रोहित गर्ग


अब तक लोग यही जानते हैं कि डबवाली जो है, वह कणक, किन्नू, कपास, मोडिफाइ जीप के लिए मशहूर है। ऐसा हरगिज नहीं, डबवाली में जो रोस्टड बर्फी बनती है, वो सात समंदर पार पहुंचती है। मिठास की दुनियां में डबवाली को इस स्थान पर लेजाना आसान नहीं था। इसकी वजह है कश्मीरी लाल गर्ग की अथक मेहनत। हर बंदा बचपन जीना चाहता है, लेकिन कश्मीरी लाल गर्ग महज 12 साल की उम्र में बर्फी तैयार करने लगे थे। मेहनत की भट्ठी में खुद को जलाया, तब जाकर यह रोस्टेड बर्फी देसी-विदेशी लोगों के मुंह की मिठास बनी है।

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ना इंटरनेट मीडिया का सहारा, न कोई प्रमोशन
59 वर्षीय कश्मीरी लाल गर्ग ने अपनी रोस्टड बर्फी की मिठास अमेरिका तक पहुंचाने के लिए इंटरनेट मीडिया का सहारा नहीं लिया या फिर कोई प्रमोशन नहीं की। कालोनी रोड पर गर्ग स्वीट्स के नाम पर दुकान चलाने वाले इस शख्स के हाथों में गजब का जादू है। उनके हाथों से बनी मुलायम बर्फी जीभ पर रखते ही हर कोई इनका दीवाना हो जाता है। पिछले वे 12 साल की उम्र में बर्फी तैयार करने लगे थे। पिछले 34 साल से दुकान कर रहे हैं। डबवाली में आने वाला ऐसा कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं है, जो रोस्टड बर्फी न खाए। ट्रांसफर होने के बाद तक अधिकारी कश्मीरी लाल गर्ग को याद करते हुए बर्फी मंगवाते हैं।
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मांग इतनी की आपूर्ति नहीं कर पाते
कश्मीरी लाल हर रोज 25 से 30 किलोग्राम बर्फी तैयार करते हैं। जो हाथों-हाथ बिक जाती है। त्यौहारी सीजन में यह मांग 10 गुणा बढ़ जाती है। लेकिन वे आपूर्ति नहीं कर पाते। तो लोगों ने फोन पर ही बुकिंग करवानी शुरु कर दी है। इसके अलावा शहर में होने वाले शादी या अन्य समारोह में गिफ्ट पैकिंग के लिए उनकी बनी बर्फी ही पहली पसंद हैं।
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यूं तैयार होती है बर्फी, मूल्य है 500 रुपये
रोस्टड बर्फी में खोया, चीनी तथा पिस्ता डाला जाता है। पहले खोया तैयार होता है। खोये को सेंकते हैं। चीनी का मिश्रण करने के बाद जमाव किया जाता है। बाद में छोटे-छोटे पीस कर लिए जाते हैं। कश्मीरी लाल एक किलोग्राम बर्फी को 500 रुपये में बेचते हैं।
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पहले साधु राम, फिर कश्मीरी लाल, अब रोहित गर्ग
बर्फी तैयार करना खानदानी पेशा है। कश्मीरी लाल के पिता साधु राम बर्फी तैयार करते थे। वे अपने पिता से ही गुर सीखते हुए बढ़े हुए हैं। आज भी शहर में उनसे ज्यादा साधु राम की बर्फी मशहूर है। बेशक उन्हें कश्मीरी लाल तैयार करते हैं। यह कला अब उनका बेटा रोहित गर्ग सीख रहा है। मतलब एक परिवार ने डबवाली की बर्फी को ब्रांड बनाने के लिए तीन पीढ़ियां लगा दी। डबवाली से विदेशों में बसे लोग इसी नाम से ही बर्फी मंगवाते हैं। कश्मीरी लाल गर्ग तथा उनके बेटे रोहित गर्ग का कहना है कि ऑर्डर पर मुंबई तक उन्होंने खुद बर्फी भेजी है। जबकि डबवाली के निवासी विदेशों में बसे अपने रिश्तेदारों को रोस्टड बर्फी भेजते हैं। उनकी बनाई बर्फी 15 दिन तक खराब नहीं होती।


कंटेंट राइटर:ः
डीडी गोयल
आवाज़ न्यूज नेटवर्क
मो. 8059733000

डबवाली की बेटी

दून मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कर रही है डबवाली की बेटी हना दुरेजा



नीट की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं को हना ने दिए अहम टिप्स
डबवाली
देहरादून के प्रतिष्ठित गवर्नमेंट दून मेडिकल कॉलेज में एडमिशन पाने वाली डबवाली शहर की बेटी हना दुरेजा ने नीट की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं को परीक्षा क्रेक करने के लिए कुछ टिप्स दिए हैं। गांव गोरीवाला में कार्यरत एबीआरसी पवन दुरेजा व देसूजोधा में अंग्रेजी प्रवक्ता मीना दुरेजा की बेटी हना ने नीट-2024 परीक्षा उतीर्ण करने के लिए कड़ी मेहनत की एवं 720 में से 680 अंक प्राप्त किए, जिससे उसे प्रतिष्ठित दून कॉलेज में एडमिशन मिला है। हना ने डबवाली के सेंट जोसेफ स्कूल में 10वीं कक्षा तक शिक्षा ली एवं उसके बाद डीडी टारगेट संस्थान दिल्ली में रहकर नीट परीक्षा की तैयारी की। इस दौरान शिक्षक माता-पिता ने भी उसको खूब मोटिवेट किया। हना ने मेहनत को अपनी दिनचर्या बना लिया और डॉक्टर बनने के अपने सपने को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए।
नीट-2025 की तैयारी कर रहे छात्र-छात्रात्रों को टिप्स देते हुए हना दुरेजा ने कहा है कि नीट में अच्छे अंक पाने के लिए कोचिंग कक्षाओं के अलावा 8 से 10 घंटे की सेल्फ स्टडी बहुत जरूरी है। प्रत्येक विषय को गहराई तक समझकर लगातार अभ्यास करें। इसमें यह भी आवश्यक है कि सोशल मीड़िया से दूर रहें व केवल बात करने के लिए ही फोन आदि का कम से कम प्रयोग किया जाए। तैयारी के दौरान पारिवारिक फंक्शंस एवं फास्ट फूड  को भी भूल जाएं। स्वस्थ रहने के लिए कम से कम आधा घंटा योग अथवा एक्सरसाइज के लिए भी निकाला जाए। स्टडी के तरीके बारे जानकारी देते हुए हना ने छात्र-छात्राओं से कहा कि जो चैप्टर कंप्लीट हो जाए उसकी रेगुलर प्रेक्टिस करना, मॉक टेस्ट और सैंपल पेपर का रेगुलर अभ्यास करना, अच्छी क्वालिटी के स्टडी मटीरियल का इस्तेमाल करना आवश्यक है। पढ़ने के लिए जो भी टाइम टेबल बनाया जाए, उसे नियमित तौर पर फॉलो करें। इसमें लापरवाही के लिए स्थान नही है। परीक्षा के पहले घबराहट होना स्वाभाविक है, लेकिन आत्मविश्वास बनाए रखना जरुरी है। अपने आप में यही विश्वास ही आपको सफलता की राह पर अग्रसर करेगा।  

Sunday, 5 January 2025

बहानेबाज अधिकारी

निर्माण की डेडलाइन बीत गई, काम शुरु नहीं हुआ

120 दिनों में होना था निर्माण कार्य, 180 से बीत गए काम शुरु नहीं हुआ


डबवाली।
पंचायती राज विभाग के अधिकारी इस कद्र लापरवाह हैं कि निर्माण कार्य का टेंडर करके भूल जाते हैं। तभी तो निर्माण कार्य की समयावधि बीत जाती है, लेकिन कार्य पूरा होना तो दूर की बात शुरु ही नहीं होता। ऐसा ही एक मामला गांव सकताखेड़ा में सामने आया है। मामला सामने आने के बाद पंचायती राज विभाग के अधिकारी बहानेबाजी करने लगे हैं।
जाने....यह है मामला
गांव सकताखेड़ा में जलघर से महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती कालोनी की ओर एक रास्ता जाता है। जोकि कच्चा है। इस रास्ते को पक्का करने के लिए टेंडर हुआ था। करीब 45 लाख रुपये की लागत से ईंटों से रास्ता पक्का होना था। बकायदा जून 2024 मंे निर्माण कार्य के शुभारंभ का पट्ट लगा दिया गया। लेकिन ठेकेदार ने कार्य शुरु नहीं किया। नियमानुसार कार्य 120 दिन की अवधि में होना चाहिए था। लेकिन 180 से ज्यादा दिन बीतने के बावजूद कार्य पूरा होना तो दूर की बात शुरु ही नहीं हुआ है। ग्रामीणों ने पंचायती राज विभाग के लापरवाह अधिकारियों तथा ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि मामूली सी बारिश के कारण रास्ता कीचड़ में बदल जाता है।
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इधर, नया राजपुरा की मुख्य टूटी पड़ी
इधर गांव नया राजपुरा निवासी बलदेव कुमार, ठंडू राम, पूर्व सरपंच हीरा लाल, पिंकी सेठ, जयचंद, मुंशी राम, जगसीर सिंह आदि ने बताया कि हर गांव की पहचान गांव की मुख्य गली या फिरनी से होती है। नया राजपुरा गांव की की फिरनी तो है नहीं, लेकिन मुख्य बाजार में हालात ये हैं कि पैदल जाना है तो चप्पल उतारकर जाना पड़ेगा। इस गली को बने हुए करीब 20 साल हो गए हैं। लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं। पंचायत से पूछा जाता है तो कहते हैं कि बुधवार को काम शुरु होगा। बुधवार के चक्कर में नई पंचायत के दो साल बीत गए हैं। लेकिन बुधवार नहीं आया।
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रास्ते की निशानदेही न होने के कारण मामला उलझा हुआ था। उसके बाद चुनाव आ गए। अब पंचायत ने निशानदेही करवा दी है। जल्द निर्माण कार्य शुरु करवाया जाएगा।
-पिरथी राज रिवाड़िया, एसडीओ, पंचायती राज विभाग डबवाली

खाल के दुश्मन

दो करोड़ से बनाया जा रहा खाल तोड़ा, एसडीओ की शिकायत पर केस दर्ज

रिसायालिखेड़ा गांव का मामला, 30-31 दिसंबर 2024 की रात को शरारती तत्व ने तोड़ा खाल



डबवाली।
रिसालियाखेड़ा गांव में सरकारी खाल तोड़ने का मामला सामने आया है। सूक्ष्म सिंचाई एवं कमान क्षेत्र विकास प्राधिकरण सिरसा के एसडीओ विकास गोयल की शिकायत पर सदर थाना पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया है। एसडीओ के अनुसार करीब 30 से 40 फीट लंबा खाल तोड़ा गया है। जिससे सरकार को करीब ढाई लाख रुपये का नुकसान हुआ है। मामला 30-31 दिसंबर 2024 की रात का बताया जाता है। 31 दिसंबर 2024 को जेई नरेश कुमार की रिपोर्ट के आधार पर एसडीओ ने केस दर्ज करवाया है।
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दूसरी बार तोड़ा गया खाल
बताया जाता है कि कुछ दिन पहले भी खाल को शरारती तत्वों ने तोड़ा था। किसानों ने खुद रिपेयर करवाई थी। किसानों के आग्रह पर विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। दूसरी बार खाल तोड़ा तो विभाग ने संज्ञान लिया। बताया जाता है कि जिस खाल का निर्माण प्राधिकरण करवा रहा है, उसकी लंबाई 36853 फीट है। करीब दो करोड़ रुपये की लागत से 20 साल बाद खाल का पुनः निर्माण करवाया जा रहा है।
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यहां से तोड़ी गया खाल
जिस खाल को तोड़ा गया है, वह रिसालियाखेड़ा माइनर से जुड़ा हुआ है। बुर्जी नंबर 600 के करीब 30 से 40 फीट लंबाई में दोनों तरफ की दीवार तोड़ी गई है। बताया जाता है कि खाल का निर्माण बाधित हुआ है। विभाग ने मामले को गंभीरता से लिया है।

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गौ हत्या मामला

गौ हत्या मामले में दो और आरोपित गिरफ्तार

डबवाली:
चौटाला पुलिस ने गांव गिदड़खेडा के खेतों में नील गाय व गौ हत्या के मामले में आरोपित जिला हनुमानगढ़ के गांव चक आठ एलएलडबलयू नवां निवासी मोहम्मद सलाम, सलाम को काबू करने में सफलता हासिल की है।
चौटाला पुलिस चौकी प्रभारी एसआइ आनन्द कुमार ने बताया कि दिनांक 30 नवंबर 2024 को गांव गंगा व गिदडखेडा के खेतों मे नील गाय को मारने सम्बन्ध मे गुरजिन्द्र सिंह निवासी गांव गिदडखेडा ने एक लिखित शिकायत थाना सदर डबवाली मे दी कि वह गांव गिदडखेडा का स्थाई निवासी है और गिदड़खेडा की ढाणियों मे रहता है, जब वह सुबह-सुबह अपने पिता के साथ खेत मे गेहूं देखने के लिए गए तो उनके खेत मे नील गाय या गाय के मास के टुकडे जगह-जगह बिखरे हुए थे जो शिकायतकर्ता की लिखित शिकायत प्राप्त होने पर केस दर्ज किया गया था। जांच के दौरान तीन आरोपितों को पहले से गिरफ्तार किया जा चुका है।

पुलिस डायरी

भारुखेड़ा गांव में 300 लीटर एल्कोहल स्पिरिट सहित एक गिरफ्तार

डबवाली।
सीआइए स्टाफ डबवाली की टीम ने गांव भारूखेड़ा से एक व्यक्ति को 300 लीटर एल्कोहल सिपरिट सहित काबू करने में सफलता हासिल की है।
सीआइए स्टाफ डबवाली प्रभारी एसआइ राजपाल ने बताया कि पकड़े गये आरोपित की पहचान अमर सिंह उर्फ धर्मा निवासी भारूखेड़ा के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि मुख्य सिपाही बलवान सिंह के नेतृत्व में एक टीम शराब ठेका भारूखेडा के समीप मौजूद थी। मुख्य सिपाही को सूचना मिली की कि गांव भारूखेड़ा में एक व्यक्ति अवैध शराब निकालकर बेचता है जिसके पास शराब निकालने के लिए काफी मात्रा में एल्कोहल सिपरिट रखा है। मुख्य सिपाही ने अपने साथी कर्मचारियों को अवगत करवाकर सूचना के आधार पर बताए गए स्थान पर दबिश दी तो अमर सिंह उर्फ धर्मा को 300 लीटर एल्कोहल सिपरिट के साथ काबू किया गया। पुलिस ने आरोपित के खिलाफ केस दर्ज किया है।

आवाज़ न्यूज़ नेटवर्क
मो. 8059733000

"पोल" मतलब नगरपरिषद की पोल

गली में बीचो-बीच खड़ा बिजली पोल, ठेकेदार इंटर लाक टाइल लगा रहा


गली के बीचों बीच खड़ा बिजली का पोल।

नगरपरिषद की लापरवाही उजागर हुई, पार्षद ने बिजली निगम के एसडीओ को लिखा पत्र
डबवाली।
डबवाली नगरपरिषद का कार्य कमाल है, वार्ड नंबर सात में यह कमाल नजर आ रहा है। यहां गली का निर्माण कार्य चल रहा है। यहां नगरपरिषद ने बीचों-बीच खड़े बिजली पोल को हटाया नहीं। बल्कि इंटर लाक टाइल लगाई जा रही हैं। पार्षद समनदीप बराड़ ने एतराज जताया है।
बराड़ के अनुसार नगरपरिषद की तकनीकी विंग का कहना है कि बिजली का पोल डिवाइडर का काम करेगा। आधे लोग एक तरफ से, आधे लोग दूसरी तरफ से निकल जाया करेंगे। जबकि सवाल यह है कि पोल से वाहन टकराने के बाद या फिर तार गिरने से कोई हादसा हुआ तो जिम्मेवार कौन होगा? पार्षद के अनुसार नगरपरिषद की तकनीकी शाखा बेहद गंभीर मसले पर भी संवेदनशील नहीं है। नगरपरिषद की उदासीनता के कारण कभी भी हादसा हो सकता है।
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पार्षद ने लिखा निगम को पत्र
इधर पार्षद समनदीप बराड़ ने बिजली निगम के एसडीओ को पत्र लिखा है। पार्षद के अनुसार वार्ड की गली पूर्व पार्षद अंजू बाला वाली में बिजली का पोल गली के बीचों बीच लगा हुआ है। जिस कारण कभी भी दुर्घटना हो सकती है। पार्षद ने बिजली पोल को साइड में करवाने की मांग की है। पार्षद के अनुसार यह उसका वार्ड है, वार्ड के सभी निवासी उसका परिवार हैं।


संत बाबा श्री रामगिर जी महाराज की जीवन गाथा

विशाल वार्षिक फाल्गुन मेले के अवसर पर संत बाबा श्री रामगिर जी महाराज की जीवन गाथा -13 मार्च को गांव पन्नीवाला रुलदू में स्थित समाध स्थल पर ल...